Sunday, January 9, 2011

एक पैग़ाम

वही मौसम है
बारिश की हँसी
पेड़ों में छन छन गूँजती है
हरी शाख़ें
सुनहरे फूल के ज़ेवर पहन कर
तसव्वुर में किसी के मुस्कराती हैं
हवा की ओढ़नी का रंग फिर हल्का गुलाबी है
शनासा[1] बाग़ को जाता हुआ ख़ुशबू भरा रस्ता
हमारी राह तकता है
तुलू-ए-माह[2] की साअत[3]
हमारी मुंतज़िर है

शब्दार्थ:
  1. परिचित
  2. सूर्योदय
  3. समय या घड़ी

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